चोमू का इतिहास और चोमू का किला – chomu ki history

चोमू एक छोटा सा शहर है जो राजस्थान के जयपुर जिले में स्तिथ है। अगर हम चोमू के इतिहास (chomu ka itihash)  के बारे में बात करे तो चोमू का निर्माण राजस्थान के जयपुर शहर के भी 133 साल पहले चोमू का निर्माण हो चूका था और आज 2020 में चोमू शहर की जनसंख्या 2.98 लाख से भी ऊपर जा चुकी है। चोमू शहर भारत देश में अपनी ऐतिहासिक परम्परा , चोमू के किले , और सांस्कृतिक महत्व की विरासत को लेकर देश में अलग पहचान बना रखी है। chomu ki history

जयपुर शहर के भी 133 साल पहले बसा है चोमू शहर आज जयपुर की चकाचोंध के आगे फीका नज़र आता है। क्योंकि जयपुर और चोमू शहर का विकाश अलग तरह से हुवा है। लेकिन फिर भी चोमू राजस्थान में राजा – महाराजाओं के इतिहास (chomu ka itihash), चोमू का किला, चोमू के मंदिर , चोमू के दुर्ग आदि के कारण पुरे राजस्थान में अपने गौरवपूर्ण इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। chomu ka itihas, chomu ki history

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चोमू का इतिहास क्या है और चोमू शहर का नाम चोमू क्यों पड़ा। chomu ka itihas , chomu ki history

चौमू का इतिहास(history of chomu) – चोमू शहर को का निर्माण 1565 में किया गया है। 1565 में यहाँ का राजा करन सिंह हुवा करता था। करन सिंह से चोमुहां गढ़ के नाम से चोमू की नींव रखी थी क्योंकि यह चारो और से आसपास के छेत्रो में सबसे बड़ा किला हुवा करता था। सुरु में इस किले को धराधर चौमुहां गढ़ किले के नाम से जाना जाता था। और फिर धीरे धीरे चौमुहां से चोमू कहलाने लगा

चोमू के इतिहास और चौमू के किले के बारे में जानकारी (chomu ka itihas, history of chomu)

1565 में चोमू के किले के बनने के बाद करीब 70 से 80 साल बाद chomu ka kila जर्जर होने लग गया लेकिन इसके बाद के शासको ने इसकी मरमत करवाई । रघुनाथ जी महाराज ने chomu ka durg और किले की मरमत करवाने में योगदान दिया और राजा कृष्ण ने भी चोमू के किले का दोबारा निर्माण करवाकर अपना chomu  का itihas में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

चोमू का इतिहास और चोमू के किले की विशेषताएं – chomu ka itihas, chomu ka kila ,chomu ki history

चोमू का किला (chomu ka kila)  बहूत सुद्रढ़ और मजबूत था। इसे इतना मजबूत बनाया गया था , की पडोसी राज की सेना कभी विजय नही हो सकती थी। चौमुहां गढ़ में चौमू के राजा करन सिंह के साथ साथ अन्य रियासतों के राजा महाराजा भी रहा करते थे इसलिए राजस्थान के इतिहास (chomu ki history) में चोमू का गढ़ काफी लोकप्रिय है। chomu ka itihas

1.  चोमू के किले का निर्माण ढूंढार शेली का प्रयोग किया गया है। चोमू के इतिहास में स्थापत्य कला और शिल्प कला मंदिरों और दुर्गों के निर्माण में सबसे ज़्यादा प्रयोग में लाई गई है। और यह कला राजस्थान में के मंदिरों और दुर्गों में सबसे ज़्यादा उपयोग में लाई गई है।

2. चोमू का इतिहास में आपको मोती महल, शीश महल आदि देखने को मिलते है । चोमू के किले में आप श्री कृष्ण निवाश भी देखने को मिलता है । श्रीकृष्ण निवाश में आपको अलग अलग डिजाईन में कारीकरी का सुन्दर चित्रण देखने को मिलता है । chomu ki history

3.  चोमू शहर का इतिहास , चोमू शहर के मंदिर, अगर चोमू शहर की प्राचीन विरासत को देखना और समझना चाहते हो तो आपको एक बार चोमू शहर में घूमना चाहिए ताकि आपको चोमू शहर के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त हो सके।

चोमू के इतिहास और चोमू शहर के बारे में कुछ जानकारी- chomu ka itihas , chomu ke mandir,

चोमू शहर में आपको अलग अलग मंदिर महल और दुर्ग देखने को मिल जायेंगे। इन मंदिरों में आपको अधिकांश स्थापत्या कला और शिल्प सेली के मंदिर देखने को मिलेंगे । आप इन मंदिरों का भृमण करके इनके बारे में अच्छे से जान सकते है और chomu ka itiha को आसानी से समझ सकते है।

1. चोमू गढ़ का मंगल पोल – आपको चोमू के गढ़ पर एक मंगल पोल देखने को मिलेगा । इस पोल को मंगल पोल के नाम से भी जाना जाता है। इस मंगल पोल पर भगवन श्रीगणेश जी का मंदिर (ganesh ji ka mandir chomu) बना हुवा है। भगवन गणेश जी का मंदिर चोमू शहर का सबसे बड़ा मंदिर है। यह हर रोज काफी संख्या में श्रदालु आते रहते है। chomu ka itihas

2. सीताराम जी का मंदिर :– आपको चोमू के किले के सामने भगवन सीतारामजी का मंदिर स्तिथ है। यह मंदिर दिखने में काफी आकर्षित है।  हातियो की ठान के पास आपको भगवन मोहनलाल जी का मंदिर भी देखने को मिलता है।

हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग हर रोज इन मंदिरों में आते है और यहां भगवान् के भजन का प्रोग्राम किया जाता है।और सब लोग भक्तियम हो जाते है।

चोमू शहर वक़्त के साथ काफी बदल गया है चोमू का पूरा परकोटा सिमट कर छोटासा हो गया है। चोमू शहर का पूरा परकोटा ढक गया है। जहाँ पहले पडोसी राज्यो से बचने के लिए जो नहरे बनाई जाती थी आज उसमे चारोओर कचरा ही दिखा देता है। बाजार और इमारतों के सामने परकोटा छोटासा नज़र आने लगा है। चोमू शहर का इतिहास (chomu ki history, chomu का itihas) बताने वाला किला परकोटा , नहरे जर्जर हो चुकी है और इन्हें मरमत की आवस्यकता है।

निस्कर्ष :- दोस्तों हमे उमीद है कि आपको हमर पोस्ट चोमू का इतिहास( chomu ki history) पसंद आई होगी। हमारे द्वारा आपको chomu का इतिहास, चोमू के मंदिर का बारे में संपूर्ण जानकारी दी है । चोमू के इतिहास से सम्बन्धित किसी भी जानकारी के लिए आप हमें कमेंट करके पूछ सकते है

 

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