अलवर जिले के इतिहास और संस्क्रति के बारे में जानकारी – alwar history in hindi

राजस्थान का अलवर जिला पहले एक रियासत हुआ करते थी। 1947 के बाद इसका राजस्थान राज्य में विलय कर लिया गया। इस रियासत का राजस्थान में विलय करने के बाद यह अलवर जिले के नाम से जाने जाना लगा। अलवर नगरी के इतिहास को महाभारत काल के लिए भी जाना जाता है। कहा जाता है कि पांडवो ने यही एक पहाड़ी के ऊपर अपना घर बनाया था । प्राचीन समय में अलवर नगरी राजस्थान की सबसे ज़्यादा विकसित रियासतों के रूप में ख्याति प्राप्ति रियासत थी। यहां भानगढ़ के किले को देखने के लिए विदेशो से लोग आते रहते है।

अलवर जिले की स्थापना के बारे में इतिहासकारों में कुछ मतभेद है।  कुछ इतिहासकारों के अनुसार अलवर अरावली पर्वतमाला के माल में होने के कारण इसी अलवर नाम दिया गया । लेकिन ज़्यादातर इतिहासकारों का मानना था कि प्राचीन समय में अलवर पर सोल्विक समुदाय शासन करता था। बाद में इस जाती का नाम सोल्विक से हलवार हो गया। और फिर धीरे धीरे अलवर रियासत का निर्माण हुवा। नीचे आपको अलवर जिले की संस्कृति संपूर्ण इतिहास व्यवसाय के बारे में बात करेंगे।

alwar history in hindi

जिले के इतिहास के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी – alwar ka itihas

भारत में मुगलो के आने के बाद से अलवर जिले के इतिहास के बारे में सही जानकारी मिलती है। इसका कारण यह है कि उस समय शिलालेखों, बलुआ पत्रों आदि में राजपूत शाशको ने अपनी विजय आदि को दर्ज करवाने लग गए थे । लेकिन अगर हम 1700 ईस्वी से पहले का इतिहास देखे तो उसमें अरावली पर्वतमाला और सोल्विक राजवंश को ही अलवर नगरी की उत्पत्ति का कारण माना जाता है।

जयपुर से 160 किलोमीटर की दुरी पर अलवर जिले की स्थापना एक राजपूत शासक राव प्रतापसिंह ने 1775 ईस्वी में अलवर नगरी की स्थापना की। अलवर जिले को एक पहाड़ी दुर्ग के ऊपर स्थापित किया गया था। जब भारत आजाद हुवा तब अलवर धौलपुर और करौली को अपने छेत्र में मिलकर एक बड़ी रियासत बन चूका था। 1947 के बाद संपूर्ण अलवर को राजस्थान में विलय कर लिया। राजस्थान में विलय होने के बाद अलवर रियासत से अलवर जिले के नाम से जाने जाना लगा।

अलवर प्राचीन समय से ही एक विकसित नगरी के नानी जाती थी। इसका कारण यहाँ है कि यहां अनेक राजवंशो ने शासन किया इस कारण सभी राजवँसो ने अपनी जरुरत के हिसाब से निर्माण करवाया और इस कारण यह के एक विशाल छेत्र को पहचान मिली। यहाँ की कला और संस्क्रति में भी राजस्थानी परिवेश छलकता है। मातृभूमि की रक्षा के लिए यहाँ के लोग हमेसा तेयार रहते है।

अलवर की संस्क्रति के इतिहास के बारे में जानकारी – alwar history in hindi।

अलवर की सबसे बड़ी विशेषता यहां की संस्कृति रही है। यहां की संस्कृति को राजस्थान या भारत के लोग ही नहीं विदेशी पर्यटक भी अलवर की संस्कृति को अपनाते है। अगर आप राजस्थान में रहते हो तो अपने पिताजी , दादाजी को धोती कुर्ता , पाजामा, पहनते हुवा देखते है। यह संस्क्रति अलवर जिले की देन है। अलवर में छोटे छोटे बच्चे को भ धोती कुरता पहले हुवे देख सकते है । इसके लिए यहां की लुगडी भी काफी लोगो द्वारा पहना जाता है। यहाँ की ओरतो का प्रमुख पहनावा लुगड़ी है।

भारत में वाद्ययंत्रों का काफी महत्व रहा है। अलवर के वाद्ययंत्र को फिल्म निर्माताऔ ने भी अपनी फिल्मों में दर्शाया है। दिलीप कुमार फिल्म अभिनेता ने गंगा – जमुना, नया दौर फिल्मों के गानों में वाद्ययंत्रों का उपयोग करके बनाया था। यहां की संस्कृति हर किसी भारतीय को पसंद आ जाती है। क्योंकि यह बहूत सरल और प्रभावपूर्ण संस्क्रति रही है।

अलवर जिले के लोगो का मुख्य व्यवसाय के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी –

यहां के लोगो को मुख्य व्यवसाय कृषि ही है। अलवर के राजाओं के पास 17 वि सताब्दी में में गेहूं, जो आदि के भण्डार थे। पुरे राजस्थान में अलवर से ही गेंहू की आपूर्ति की जाती थी। और आज भी यहां के लोग खुद को खेती के कार्यो में बिजी रखते है। इसके अलावा कुछ लोग पषुपालन का कार्य भी करते है। अक्सर पषुपालन करने से किसानों को दैनिक खर्चे के लिए पैसे आते रहते है । अलवर में उत्पादित होने वाला दूध जयपुर डेयरी में आता है। यहां के लोग गेंहू, मूंगफली, जो ज्वार, आदि की खेती करते है। बारिश के मौसम में किसानों की फसल से अछि पैदावारी होती है।

भारत में अलवर जिले की विरासत के बारे में जानकारी – alwar ka itihas

कहते है कि प्रकृति की हरियाली का अपना अलग ही सौंदर्य होता है। अलवर भी ऐसी ही जगह के लिए जाना जाता है । यहां पर्वतीय इलाका होने के कारण गर्मियों में पेड़ पौधे सुख जाते है। लेकिन जब बारिश का मौसम आता है तो यह पर्वतीय इलाका हरियाली से भरपूर हो जाता है । पुरे वातावरण में हरियाली के कारण इसका सौंदर्य बाद जाता है। कुछ लोग इसके अलवर में देवी की तपस्या का महत्व भी मानते है। माना जाता है कि अलवर दुर्ग गढ़ परिसर में आने वाले व्यक्ति की इच्छा पूरी होती है।

भानगढ़ के किले का नाम राजस्थान के सभी लोगो ने जीवन में एक बार जरूर सुना ही होगा। इस किले को देखने के लिए विदेशो से भी बहूत सारे लोग आते है। इस किले की अपनी भी एक अलग ही कहानी है। यह किला रानी रत्नावती और सिंधु बाबा की ज़िन्दगी के इतिहास के बारे में बताता है। अगर आप कभी अलवर घूमने के लिए जाओ तो भानगढ़ के किले में जरुर जाना चाहिए।

निस्कर्ष – उमीद करते है कि आपको हमारी पोस्ट “अलवर जिले का इतिहास) पसन्द आई होगी। 18 से 19 वि सताब्दी में अलवर जिले का खूब विकास हुवा लेकिन अब आधुनिकता की दौड़ में अलवर के इतिहास और संस्क्रति को संझौने का वक़्त है।। इस पोस्ट में आप अलवर जिले से सम्बंधित किसी भी जानकारी के लिए कमेंट करके पूछ सकते हो।

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